कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure)

आज हम लोग कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure) के विषय में विस्तार में पढ़ेंगे

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1-कम्प्यूटर का विकास(Development of Computer)

      कम्प्यूटर के विकास की बात की जाये तो इसका इतिहास बहुत ही पुराना है जो आधुनिक कम्प्यूटर आज हम लोगों के सामने है जिसे हम लोग प्रयोग मे लाते हैं चाहे वह Laptop हो या Desktop यह सब बहुत ही सुविधा जनक हैं  आराम से कहीं भी प्रयोग में लाने योग्य  हैं। लेकिन यह कम्प्यूटर इस रूप मे हम तक किस तरहा से पहुँचा आज हम लोग इसी विषय में बात करेंगे और  कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure) को निम्नलिखित बिन्दुओं मे समझेंगे।




 अबेकस (Abecus)

 कम्प्यूटर के विकास की शुरूआत आज से लगभग 2000AD(ईसापूर्व) में हीं हो गयी थी अब आप लोग सोच रहे होंगे मैं यह क्या बात कर रहा हूँ। 2000AD(ईसापूर्व) यानी चार हजार वर्ष पहले? हाँ 2000ईसापूर्व चीन में एक यन्त्र का विकास हुआ जिसे Abacus अबेकस कहा जाता है। जिसे आजकल नर्सरी के बच्चों को प्राथमिक तौर पर गणना सिखाने के लिये प्रयोग में लाया जाता है। कम्प्यूटर के विकास का आधार अबेकस को हीं माना जाता है।  अबेकस का इस्तेमाल मुख्य रूप से गणना करने के लिये किया जाता था


नेपियर बोन्स(Napier Bones) 

कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure)
Napier Bones

नेपियर बोन्स नाम का उपकरण भी मुख्य रूप से गणना करने के लिये बनाया गया था विकीपीडिया के अनुसार इसका अविश्कार स्काटलैण्ड के जॉन नेपियर ने उत्पादों और संख्याओं की भागफल की गणना करने के लिये सन् 1617ई0 बनाया था । नेपियर के द्वारा इस विधि को रबडोलॉजी भी कहा जाता था। यह नाम नेपियर ने इसको दिया था । तथा इसके इस्तेमाल से भागफल गुणा भाग के अलावा वर्गमूल भी निकाला जा सकता है। कम्प्यूटर के विकास के क्रम मे यह दूसरी खोज थी।


ब्लेज़ पास्कल (Blaze Pascal)

कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure)
पास्केलाइन
ब्लेज़ पास्कल एक फ्रांसीसी गणितज्ञ थे। इसके अतिरिक्त वे अक भौतिकज्ञ  के साथ-साथ धार्मिक दार्शनिक भी थे इन्होने सन् 1642ई0 में गणना के काम को आसान करने के लिए एक मशीन बनायी मैकेनिकल मशीन थी जिसे पास्केलाईन भी कहा जाता है। तथा इसे पास्कल गणक भी कहा जाता है।
कम्प्यूटर के विकास के क्रम मे यह तीसरा मैकेनिकल यन्त्र बनाया गया जिससे गणना करना आसान हो सके मानव धीरे-धीरे अपने गणना के कार्य को आसान बनाने के क्रम में अग्रसर था ।
  • दुनिया का पहला Electro-mechanical कम्प्यूटर Mark-1 था जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौराना सन्1937-सन्1944 के बीच बनाया गया जिसे Howard University of America के द्वारा बनाया गया था

बाईनरी नंबर (Binary Number) 

Binary Number बाईनरी नंबर की खोज करने वाले वैज्ञानिक थे Gotffried Labnitz गॉटफ्रीड लेबनीज ने 1671ई0 मे किया और बताया की बाईनरी नम्बर का प्रयोग करके हम कैलकुलेट कर सकते है। बाईनरी कल्कुलेशन के विषय में खोज इसके बहुत बाद में की गई जिसकी खोज एक अमेरीकन वैज्ञानिक जार्ज बुले George Boole ने 1854ई0 मे किया था। जसे बाद में बूलियन एलजेबरा Boolian Algebra के नाम से जाना जाने लगा इन्होने ने ही इलेक्ट्रानिक कम्प्यूटर का आधार बताया था उस समय सिर्फ यह बताया गया था की आप "0" और "1"द्वारा करंट को भी डिनोट किया जा सकता है "0" मतलब ऑफ और "1" मतलब ऑन और हम सभी जानते हैं कि हमारा कम्प्यूटर यह दो नम्बरो पर काम करता है।

  • सन्1938ई0 में Germany के अंदर एक कम्प्यूटर का विकास किया गया जिसका नाम Z1 था जिसे एक अमेरीकी वैज्ञानिक Konrad Zuse ने बनाया था। इसी कम्प्यूटर में पहली बार बाइनरी नम्बर का प्रयोग किया गया था।

डिफरेंस इंजन (Difference Engine)

कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure)
चार्ल्स बैबेज कल्कूलेटर
 डिफरेंस इंजन (Difference Engine) का कम्प्यूटर के पिता कहे जाने वाले चार्ल्स बैबेज Charls Babage के द्वारा सन्1820ई0 में डिजाईन किया गया था जो पहला small Difference Engine था । 1823ई0 मे उन्होने 20 दशमलव क्षमता वाली मशीन डिफरेंस इंजन बनाने के लिये उन्होने ब्रिटिश गवर्नमेंट से सहायता प्राप्त करने के बाद काम शुरू किया जिसमें डेटा को स्टोर भी किया जा सकता था । परन्तु यह मशीन उनके समय मे पूरी नहीं हो सकी बाद मे उन्ही के द्वारा तय्यार किये गये डिजाईन से दूसरा डिफरेंस इंजन तय्यार किया गया । कम्प्यूटर के विकास के क्रम में यह सबसे महत्वपूर्ण चरण था। बाद में बनाया गया डिफरेंस इंजन एक कमरे के आकार का था । 1937ई0 मे चार्ल्स बैबेज की एक नोट बुक खोजी गयी थी जिसके आधार पर एक ब्रिटिश सांईंटिस्ट ने 1991ई0 में डिफरेंस इंजन-2 नाम की 31 डिजीट कलकुलेशन वाली एक मशीन बनायी थी।
  • सन् 1938ई0 में हीं अमेरीका में एक कम्प्यूटर का विकास किया गया जिसका नाम था ABC Computer जिसको बनाने वाले वैज्ञानिकों का नाम था Atanasoff, Berry इन्ही के नाम पर इस कम्प्यूटर का नाम ABC या Atanasoff-Berry Computer रखा गया था।

कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generation of Computers)

     कम्प्यूटर के विकास के क्रम मे इसके आगे की जानकारी हम कम्प्यूटर की पीढ़ियों  Generation में पढ़ेंगे वैसे तो इस क्रम में बहुत सी घटनायें अभी बाकी है जैसे 1890ई0 में लार्ड रिपन ने US की जनगणना कराने का काम शुरू किया जो की एक बहुत बड़ा काम था जिसकी गणना करने के लिये लार्ड रिपन ने हर्मन हॉलरिन्थ को यह काम दिया जिन्होने इसके बाद IBM(International Business Machine) की स्थापना की जिसके लिये हर्मन हॉलरिन्थ ने एक कल्कूलेशन डिवाईस बनाई जिससे यह जनगणना आसानी से हो सकी और इसके साथ ही पंच कार्ड का प्रयोग किया गया था डेटा को स्टोर करने के लिये।

  • सन्1943ई0 मे England ने एक कम्प्यूटर का विकास किया गया जिसका प्रयोग England ने Spy लोगों द्वारा प्रयोग किये जाने वाले सीक्रेट कोड को तोड़ने के लिये किया जाना था जिसका नाम था Colossas

प्रथम पीढ़ी (First Generation) 1942-1955

    पहली पीढ़ी के कम्प्यूटरों मे वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया जाता था । तथा स्टोरेज के लिये मैगनेटिक टेप का प्रयोग किया जाता था। इन कम्प्यूटर्स में मशीनी भाषा (Machine language) का इस्तेमाल किया जाता था मतलब जितने भी कोड लिखे जाते थे या जो इन्सट्रक्शन दी जाती थी वह मशीनी भाषा यानी "0" और "1" में लिखी जाती थी जिससे इसे प्रोग्राम करना बहुत ही कठिन कार्य था

  • First Generation मे प्रयोग की गई Vacume Tube का आविष्कार एक American Inventor "Lee de Frost" ने सन् 1906ई0 में किया था ।

इसकी स्पिड मिली सेकेण्ड में मापी जाती थी तथा बैच प्रोसेसिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का इसतेमाल किया जाता था । इसमें एक समस्या यह भी थी कि एक बार कमाण्ड देने के बाद उसको रोका नहीं जा सकता था इसी पीढ़ी के कम्प्यूटरो में स्टोरेज के लिये पंच कार्ड का इस्तेमाल किया गया था । 

  • पहला Electronic Digital Computer अमेरिका के दो वैज्ञानिकों "John Adam Persper Eckert" और "John Mauchly" ने सन् 1946 में किया था जिसका नाम था ENIAC (Electronic Numerical Integrator And Calculator)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कम्प्यूटरो का निर्माण हुआ था।

  • ENIAC
  • UNIVAC-1
  • MARK-1
  • इसी क्रम में सन् 1951ई0 में John Von Neumann, J Prersper Eckert, John Mauchley ने एक कम्प्यूटर बनाया EDVAC इसके बाद इसी पर काम करते हुए पहला Mainframe Computer विकसित किया गया जिसका नाम UNIVAC-1(Universal Automatic Computer) जो एक व्यवसायिक कम्प्यूटर था ।

द्वित्तीय पीढ़ी (Second Generation) 1956-1964

    द्वित्तीय पीढ़ी (Second Generation) के कम्प्यूटरों में ट्रांसिसटरों(Transistor's) का प्रयोग किया गया था परन्तु इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में भी स्टोेरेज  के लिये मैगनेटिक टेप का ही प्रयोग किया जाता था । मगर इसकी स्पीड माइक्रो सेकेण्ड में मापी जाती थी तथा इसी जनेरेशन मे FORTRAN(Formula Translation), COBOL(Common Business Oriented Language) इन दोनो भाषाओं का विकास किया गया । FORTRAN जो वैज्ञानिक, गणितज्ञ उपयोग के लिये थी । तथा COBOL जो व्यवसायिक(Commercial) प्रयोग के लिये बनायी गयी थी । 

  • "AT&T Bell Lab मे सन् 1947ई0 मे तीन वैज्ञानिकों John Bardeen, Walter Brattain और William Shockly ने Transistor की खोज की जिसके लिये इन्हें संयुक्त रूप से सन्1956ई0 में Physics के Nobel पुरस्कार दिया गया ।

    यह दोनो हाई लेवल (High level language)लैंग्वेज थी । तथा व्यवसायिक प्रयोग के लिये बनाया गया पहला कम्प्यूटर UNIVAC-1 था । तथा इसी जनरेशन में ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत हुई । जिसका काम था High level language को  Machine language मे परिवर्तित करना तथा  Machine language को High level language  मे परिवर्तित करना ।

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कम्प्यूटर्स का निर्माण किया गया-

  • IBM 1401
  • NCR 304
यह दोनो कम्प्यूटर मेनफ्रेम कम्प्यूटर थे

तीसरी पीढ़ी (Third Generation) 1965-1975

    इस पीढ़ी मे IC(Integrated Circuit) का इस्तेमाल किया गया । इसकी गति को मापने के लिये Nano Second's मे मापा जाता था । इस पीढ़ी के कम्प्यूटरो मे Input-Output  डिवाइस का प्रयोग शुरु किया गया । तथा रियल टाईम ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया । इसी जनरेशन मे पहला मिनी कम्प्यूटर PDP-8 का निर्माण हुआ ।

  • सन्1960ई0 में IC(Integrated Circuit) का निर्माण J. Kilby के द्वारा किया गया। जो कि Silicon and Germanium  की बनी थी

इसके अन्तर्गत निम्न लिखित कम्प्यूटरों का निर्माण किया गया-

  • IBM 360
  • PDP-8
  • PDP-11

चौथी पीढ़ी (Fourth Generation) 1975-1989

    इसी पीढ़ी में पहली बार Microprocessor आया था जो Intel-4004 था । इसी जनरेशन मे पहली बार स्टोरेज डिवाइस के तौर पर Winchister Disk या Hard disk का प्रयोग किया गया जो एक Permanent Storage स्थाई स्टोरेज Nonvolatile स्टोरेज डिवाईस थी जिसमें स्टोर किया गया डाटा विद्युत सप्लाई बंद हो जाने के बाद भी Delete  नहीं होता । Time Sharing Operating System  भी इसी जनरेशन में आया था । इसी समय GUI (Graphical User Interface) आया था । तथा  Online Fund Transfer भी आया था ।

  • सन्1971ई0 में पहला Microprocessor लाँच किया गया पहला Microprocessor Intel-4004 था जिसे Fedrico Feggin ने डिजाईन किया था

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कम्प्यूटर आये थे-

  • IBM-4341
  • Apple
  • DEC-10 (Digital Equipment Corporation)

पाँंचवी पीढ़ी (Fifth Generation) 1989-Till NOW

    इसी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ULSI (Ultra Large Scale Integrated Circuit)  का प्रयोग किया गाय इसी पीढ़ी में आर्टीफिशइयल इंटेलिजेंस का विकास हुआ इसी पीढ़ी में Laptop, Smartphone, HD(High Definition) Resolution  भी आया ।


कम्प्यूटर क्या है?(What is Computer)

'कम्प्यूटर' शब्द की उत्पत्ति 'कम्प्यूट' शब्द से हुई है इसीलिये आमतौर पर कम्प्यूटर को एक गणना करने वाली मशीन के रूप मे जाना जाता था । जो बहुत ही तेजी से एरिथमैटिक ऑपरेशन्स को संचालित कर सकती है लेकिन यदि कम्प्यूटर की शुद्ध परिभाषा की बात की जाये तो कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जो डेटा प्रोसेस करने का कार्य करती है

मूल रूप से कम्प्यूटर तीन प्रकार के होते हैं

1- ऐनलाग कम्प्यूटर

2- डिजिटल कम्प्यूटर

3- हाईब्रिड कम्प्यूटर 

2-ऐनलाग कम्प्यूटर्स

ऐनालाग कम्प्यूटर्स ऐसी सूचनाओं पर कार्य करता है जो भौतिक होती हैं जैसे तापमान, दबाव आदि को मापने का काम करते हैं।

3-डिजिटल कम्प्यूटर्स

डिजिटल कम्प्यूटर्स वह सामान्य कम्प्यूटर्स हैं जिनका उपयोग दैनिक कार्यों में किया जाता है जो हमारे द्वारा दिये गये इनपुट को प्रोसेस करने का कार्य करता है यह कम्प्यूटर बाइनरी' या टू-स्टेट फार्म पर आधारित होते हैं जैसे- '0' या '1 ।

3-हाईब्रिट कम्प्यूटर्स

हाईब्रिट कम्प्यूटर एनलॉग कम्प्यूटर और डिजिटल कम्प्यूटर को मिला कर बनाता है जिस कम्प्यूटर मे दोनो कम्प्यूटरों के गुण होते हैं उन्हें हाईब्रिड कम्प्यूटर कहते हैं जैसे- ECG Machine, Petrol Pump आदि । ।

4-कम्प्यूटर की संरचना (Anatomy)

कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना (Computer Development and Structure) को समझने के लिये नीचे दिये गये डायग्राम का प्रयोग किया जा सकता है जिसमें कम्प्यूटर की कर्य प्रणाली दिखाई गई है यह कम्प्यूटर का बेसिक Structure है।

(Computer Development and Design) कम्प्यूटर का विकास एवं संरचना

 

एक डिजिटल कम्प्यूटर के पाँच प्रमुख भाग होते हैं।

 1. सीपीयू (सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट)

2.  इनपुट यूनिट्स

3. आउटपुट यूनिट्स

4. स्टोरेज यूनिट्स

5. कम्यूनिकेशन इंटरफेस

    सीपीयू कम्प्यूटर का दिमाग होता है कम्प्यूटर के सारे भाग कम्प्यूटर के इसी भाग से कम्यूनिकेट करते है एवं कम्प्यूटर होने वाली सभी गणनाएं यहीं पर होती हैं इसमे मेन मेमोरी  कंट्रोल यूनिट एने एरिथमैटिक लॉजिक यूनिट होती है । सीपीयू इनपुट एवं आउटपुट डिवाइसेस को भी कंट्रोल करता है सीपीयू के अंतर्गत प्रोग्राम एवं डेटा  मेमोरी में स्टोर होते हैं तथा रिजल्ट मॉनीटर पर प्रदरशित होते हैं जिसे प्रिंटर के द्वारा पेपर पर प्रिंट किया जाता है ।

 

5-(Hardware) हार्डवेयर

    कम्प्यूटर के भौतिक भागों को हार्डवेयर कहा जाता है जिन्हें हम छू सकते हैं ये भौतिक भाग इलेक्ट्रॉनिक मैग्लेटिक मैकेनिकल अथवा ऑप्टिकल कुछ भी हो सकते हैं । जैसे- मॉनिटर, की-बोर्ड, माइक्रोप्रोसेसर, प्रिंटर आदि। हार्डवेयर दो प्रकार के होते हैं  इनपुट डिवाईस एवं आउटपुट डिवाइस ।

 

6-इनपुट डिवाइस (Input Device)

    इनपुट डिवाइस वे डिवाइस होते हैं  जिनके द्वारा डाटा एवं निर्देशों को कम्प्यूटर में एंटर किया जाता है एक इनपुट डिवाइस सर्वप्रथम इनपुट डेटा एवं निर्देशों को बाइनरी रूप मे (0 और 1) मे परिवर्तित करता है और उसे सीपीयू में भेजता है जिनमे प्रमुख इनपुट डिवाइस की-बोर्ड है इसके अतिरिक्त कुछ अन्य डिवाइस भी हैं ।

1- माउस                  2- जॉयस्टिक

3- ट्रैकबाल               4- लाइट पेन

5- ग्राफिक टैबलेट        6- टच स्क्रीन 

उपरोक्त डिवाइस यूजर को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर पॉइंट करके किसी इमेज को सिलेक्ट करने की अनुमति देती है इसीलिए इन्हें पॉइंटिंग डिवाईस भी कहा जाता है।

इसके अतिरिक्त वाइस इनपुट के के लिए माइक का प्रयोग किया जाता है।

7-आउटपुट डिवाइस (Output Device)

    आउटपुट डिवाइस का प्रयोग कम्प्यूटर में स्टोर की गई सचनाओं अथवा किसी भी प्रोसेस्ड डेटा को आउटपुट के रूप में देखने के लिए आउटपुट डिवाइस का प्रयोग किया जाता है सामान्य रूप से मॉनिटर का प्रयोग डेटा को देखने के लिए किया जाता है इसके अलावा प्रिंटर के द्वारा हम पेपर पर प्रिंटेड रिकार्ड भी प्राप्त कर सकते हैं ।

 

8-सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू)

    एक सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का मुख्य कार्य निर्देशों अथवा प्रोग्रामों को ऐग्जीक्यूट करना है । इसके अलावा प्रोसेसिंग यूनिट अन्य सभी भागों जैसे मेमोरी, इनपुट एवं आउटपुट डिवाइसिस के कार्यों को भी कंट्रोल करता है। प्रोसेसिंग होने के बाद आउटपुट या तो वीडियो स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है अथवा  पेपर पर प्रिन्ट किया जाता है । एक छोटे कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग यूनिट मे सामान्यतः एक ही प्रोसेसर होता है परन्तु बड़े कम्प्यूटर्स की प्रोसेसिंग यूनिट में कई प्रोसेसर हो सकते हैं । बड़ी प्रोसेसिंग युनिट के प्रत्येक प्रोसेसर का एक निश्चित कार्य होता है ।

किसी सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिक के मुख्य भाग

1- प्राइमरी अथवा मेन मेमोरी

2- ऐरिथमैटिक एवं लॉजिक यूनिट

3- कंट्रोल यूनिट

 

9-मेमोरी (Memory)

मेमोरी एक कम्प्यूटर सिस्टम का आवश्यक भाग है । कम्प्यूटर सिस्टम को इसकी आवश्यकता डाटा और निर्देशों को स्टोर करने के लिए होती है । मेमोरी जो निम्न दो प्रकार की होती है।

1- प्राइमरी मेमोरी या मेन मेमोरी वह मेमोरी सीपीयू से सीधे तौर पर जुड़ी होती है अथवा कुछ पीसी मे सीधे तौर पर जूड़ी होती है ।

2- सेकेंड्री मेमोरी वह मेमोरी  जो सीपीयू से बाहर होती है ।  

 

10-प्रइमरी मेमोरी या मेन मेमोरी

प्रइमरी मेमोरी छोटी अथवा अपेक्षाकृत तेज मेमोरी होती है । वर्तमान मे इस्तेमाल किये जारहे सभी डाटा एवं निर्देशों को स्टोर करती है । इसे मेन मेमोरी भी कहा जाता है । यह अपने कन्टेन्ट को तभी तक स्टोर करके रखती है जब तक कम्प्यूटर सिसटम ऑन रहता है । जैसै ही आप अपना पीसी ऑफ करते हैं मेन मेमोरी का सारा कन्टेन्ट स्वतः ही डिलीट हो जाता है ।

 

11-सेकेंड्री मेमोरी  या सहायक मेमोरी 

    सेकेंड्री मेमोरी या सेकेंड्री स्टोरेज डिवाइस, स्थाई स्टोरेज यूनिट होती है जो प्रग्राम और डाटा को  स्टोर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है पावर स्विच ऑफ होने के बाद भी इसमे सुरक्षित डाटा डिलीट नही होता है। इसीलिए इसे स्थाई स्टोरेज यूनिट कहा जाता है।

उदाहरण के तौर पर मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क कॉम्पैक्ट डिस्क, मैग्नेटिक बबल मेमोरी, मैग्नेटिक ड्रम ज़िप डिस्क आदि

 

12-Desktop Computer or PC डेस्कटॉप या पीसी

    किसी डेस्कटाप कम्प्यूटर के विभिन्न भाग निम्न लिखित हैंः-

1- फ्रन्ट पैनल 

2- रियर पैनल

3- सिसटम यूनिट का अन्दरूनी भाग

फ्रंट पैनल(Front Panel) के भाग

Power Switch पावर स्विच

    अलग-अलग कम्प्यूटरों मे यह स्विच या तो फ्रन्ट मे या तो पीछे की तरफ होता है और इसका प्रयोग सिसटम को ऑन या ऑफ करने के लिए किया जाता है ।

 

रीसेट बटन Reset Button

    यह एक प्रेस स्विच है जिसे, बिना मेन पॉवर सप्लाई ऑफ किये पीसी को री-स्टार्ट करने के लिये इस्तेमान किया जाता है । जब भी पीसी हैंग हो जाए और की-बोर्ड से कोई भी कमॉड को ग्रहण न करे तब अंतिम उपाय के रूप में इस स्विच का उपयोग करना चाहिए । जब आप पीसी को रि-स्टार्ट करेंगे यह मेमोरी में स्टोर सभी सूचना को खो देगा।

 

टर्बो स्विच (Turbo Switch)

    यह स्विच पुराने सिस्टम  मे होता था जब यूजर को किसी कार्य के लिय अधिक स्पीट की आवश्यकता होती थी तो वह इस स्विच को दबा कर कुछ देर के लिए स्पीड को बूस्ट कर देता था । आज के समय मे इस स्विच का कोई काम नहीं रह गया है क्योंकि अब के कम्प्यूटर पुराने कम्प्यूटर की तुलना में अधिक से काम करने मे सक्षम है ।

 

इंडिकेटर लाइट्स Indicator lights

    कम्प्यूटर यूनिट मे पीसी की वर्किंग को दर्शाने के लिये लगाई जाती हैं जिसमें एक लाईट सिस्टम ऑन होने पर जलती है और एक लाईट सिसटम में डाटा रीड राइट को इंडिकेट करती है।

 

फ्लापी ड्राईव Floppy Drive

    फ्लॉपी ड्राईव पुराने समय में रिमूवेबल स्टोरेज का एक ऑपशन थी यह बहुत ही छोटी स्टोरेज यूनिट होती थी आज के समय मे इसका उपयोग समाप्त हो गया है जिसके स्थान पर पेन ड्राइव आदि अन्य स्टोरेज डिवाईसेस का प्रयोग किया जाता है।

 

 13-रियर पैनल के विभिन्न पोर्ट (Different ports of rear panel in Computer)

    यदि रियर पैनल की बात की जाये तो यहाँ पर अलग अलग तरहा के बहुत सारे पोर्ट एंव स्लाट होते हैं । जिनसे कम्प्यूटर पेरिफेरल डिवाईसेज कनेक्ट की जाती हैं।

जैसे- यूएसबी पोर्ट, की-बोर्ड एंव माऊस पोर्ट आदि कई तरहा के पोर्ट्स होते हैं जिनके विषय में हम आगे जानेंगे ।

मॉनीटर के लिए वीडियो पोर्ट (Video port to connect Monitor with Computer)

    कम्प्यूटर सिस्टम से मॉनीटर को कनेक्ट करने के लिए एक अलग पोर्ट होता है इसे VGA पोर्ट भी कहा जाता है।

की-बोर्ड सॉकेट Keyboard Socket

    की-बोर्ड सॉकेट का प्रयोग की-बोर्ड को सिस्टम से कनेक्ट करने के लिए किया जाता है । इस सॉकेट को पीएस-2 (PS-2) सॉकेट कहा जाता है इसके अतिरिक्त की बोर्ड को USB पोर्ट के द्वारा भी कनेक्ट किया जा सकता है । 

पॉवर सॉकेट Power Socket

पावर सॉकेट का प्रयोग सिस्टम को पावर सप्लाई प्रदान करने के लिये किया जाता है । 

पैरेलल,सीरियल पोर्ट या सॉकेट एवं यूएसबी पोर्ट

    इन पोर्टस (साकेट) का उपयोग आपके पीसी की क्षमता बढ़ाने के लिये किया जाता है। उदाहरण  के तौर पर आप इन पोर्ट्स के द्वारा प्रिन्टर, मॉउस, मॉडेम या अन्य पेरिफेरल डिवाईस को अपने सिस्टम यूनिट से जोड़ा सकते हैं । सीरियल पोर्ट का प्रयोग एक मॉडेम या माउस को जोड़ने के लिये किया जाता है । पैरेलल पोर्ट का प्रयोग प्रिंटर को जोड़ने के लिए होता है । यूएसबी  पोर्ट का प्रयोग उपर बताये गये डिवाईस के साथ पेन ड्राइव आदि को कनेक्ट करने के लिये किया जाता है ।

फैन हाउसिंग Fan Housing

    यह एक फैन (पंखा) होता है जो सिस्टम में लगा होता है यह फैन सिस्टम यूनिट में उत्पन्न होने वाली गर्मी को खींच कर बाहर निकालता है जिससे सिस्टम यूनिट में पर्याप्त कूलिंग बनी रहे और सिस्टम सुचारू रूप से कार्य करता रहे । दोस्तो यह फैन जब भी सही से काम नही करता तभी आपको सिस्टम हैंग होने चलते-चलते सिस्टम बंद हो जाने की समस्या आती है इसलिये यह सुनिश्चित कर लें आपका हाउसिंग फैन सही काम कर रहा है या कहीं आपका सिस्टम यूनिट दीवार से सटा हुआ तो नहीं रखा है ।

14-मदर्बोर्ड (Motherboard)

    कम्प्यूटर में मदरबोर्ड सबसे महात्वपूर्ण अंग होता है कम्प्यूटर का निर्माण मदरबोर्ड बिना सम्भव नहीं है मदर्बोर्ड फाईबर ग्लास की बनी होती है क्योंकी फाईबर ग्लास इलेक्ट्रिकसिटी का कुचालक है मदरबोर्ड से हींं कम्प्यूटर के सारे पार्ट कनेक्ट होते हैं इसी बोर्ड पर आपका प्रोसेसर भी लगा होता है तथा रैम रोम इत्यादी सभी की सर्किट इसे में होती है ।

 

15-रैम (Ram)

     

    रैम कम्प्यूटर का दूसरा सबसे महात्वपूर्ण अंग है रैम अलग अलग सिस्टम्स मे अलग-अलग तरहा की लगाई जाती है इसका वर्गीकरण कम्प्यूटर की जनरेशन के आधार पर किया जाता है रैम की अलग-अलग वराईटी होती है जैसे DDR2, DD3, DDR4 आदि रैम के प्रकार हैं 

    यह अलग-अलग जनेरेशन में अलग-अलग लगाये जाते हैं यह निर्भर करता है कि आपकी मदर्बोर्ड किस रैम को सपोर्ट करती है क्योंकि यदि आपकी मदर्बोर्ड DDR2 रैम सपोर्ट करती है तो इसके अलावा दूसरी रैम आपके मदर्बोर्ड में नहीं लग सकती यह रैम मे उपस्थित अलग- अलग तरहा की पिनों के कारण होता है ।

 

16-रोम (ROM)

     

    Rom  का फुल फार्म Read Only Memory होता है रोम वह चिप जैसा वह डाटा होता है जो इसे बनाते समय ही इस पर लिख दिया जाता है इसमे वह महात्वपूर्ण निर्देश होते हैं जिनके आधार पर कम्प्यूटर काम करता है जैसे कम्प्यूटर के ऑन होने के बाद सबसे पहला काम क्या करना चाहिये ।

 

17-डिस्पले अडाप्टर कार्ड / वीडियो ग्रफिक्स कार्ड (Display Adapter Card / Video Adapter Card

 

    डिस्पले अडाप्टर कार्ड के द्वारा सिस्टम से मॉनिटर को कनेक्ट किया जाता है यह कम्पयूटर द्वारा दिये गए आउटपुट के बाइनरी रूप को मानव द्वारा पढ़े जा सकने वाले रूप में परिवर्तित करता है।

 

FAQ (Friquently Asked Questions)

Q1-कंप्यूटर क्या है इसकी संरचना बताइए?

Ans1-प्रारम्भिक रूप से कम्प्यूटर का विकास गणना के लिये किया गया था। कम्प्यूटर शब्द भी कम्प्यूट शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है गणना । यदी सीधी बात की जाये तो कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसमे हम डाटा तथा निर्देश इनपुट करके बड़ी-बड़ी गणनाये कम समय में करते हैं या अपने मन चाहे परिणाम प्राप्त करते हैं। \nकम्प्यूटर की संरचना के विषय में सम्पूर्ण जानकारी के लिये पूरी पोस्ट पढ़े।कम्प्यूटर मूल रूप से दो तत्वों से मिल कर बना है पहला हार्डवेयर जिसके अन्तर्गत मदर्बोर्ड, प्रोसेसर, हार्ड ड्राइव(HDD) या (SSD), RAM Random Access Memory, Grafics Card, Keyboard, Mouse इत्यादि तथा दूसरा है साफ्टवेयर जिसके अन्तर्गत सबसे महात्वपूर्ण ऑपरेटिंग सिस्टम जो हमारे कम्प्यूटर मे मीडियटर का कार्य करता है तथा एपलीकेशन सॉफ्टवेयर जो प्रत्येक सॉफ्टवेयर किसी विशेष कार्य के लिये अलग- अलग होते हैं।

Q2-कम्प्यूटर का पिता किसे कहा जाता है?

Ans2-चार्ल्स बैबेज

Q3-सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) के कितने भाग हैं

Ans3-सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के तीन मुख्य भाग है- 1) कन्ट्रोल यूनिट, 2) एरिथमैटिक लॉजिक यूनिट, 3) प्रईमरी अथवा मेन मेमोरी

Q4-कम्प्यूटर के चार मुख्य घटक क्या हैं?

Ans4-कम्प्यूटर के चार मुख्य घटक हैं- प्रइमरी या मेन मेमोरी, सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट(CPU), Input/Output Device तथा Software।

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